durguno ko door kaise kare..

 

8th March2009, Nagpur Satsang

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Sant Shiromani Param Pujya Shri Asaramji Bapu ki Amrutwani *************************************************

 हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
 
 ..तुम्हारे जीवन में दुःख अनेक प्रकार का होता है..आपदाये मुसीबते अनेक प्रकार की आती रहेती है..जीवन भर मुसीबतों से झुँजते झुँजते आख़िर आदमी कुछ ना कुछ दुःख , चिंताए, परेशानियाँ लेकर मर जाता है..और फिर उन्ही परेशानियों को , दुखो को, जिम्मेदारियों को याद करता हुआ जन्मजन्मान्तर भटकता है..
किसी को बदला लेना है, तो किसी को सुख पहुँचाना है..ऐसे कई लोगो को मैं जानता हूँ ..
..जिन का बाप मर गया अभी..खिड़की के किनारे आकर बुलाता है.. ‘मैं अभी भटक रहा हूँ..बेटी तेरी शादी हो जाए तो मैं छुट जाऊ..जब तक तेरी शादी नही होती , मेरा दिल भटकता है ..इसलिए मैं आता हूँ..’  वो लड़की आकर मुझे सुनाती है कि मुझे पप्पा दिखाई देते है..मेरी शादी की चिंता चिंता में मर गए और अभी प्रेत होके मुझे दिखाई देते ..
 
 
 ..ऐसे कोई कुछ अरमान लेकर मर जाता है, कोई किसी का द्वेष लेकर मर जाता है तो कोई किसी का राग लेकर मर जाता है.. तो कोई अपनी अभिलाषा अधूरी छोड़कर मर जाता है..तो फिर मरने के बाद उसी वातावरण में जनम लेता है ..जहां  उस की अभिलाषाये, इच्छाये  पुरी हो..
वो इच्छाये , अभिलाषाये थोडी पुरी हुयी की नही हुयी तब तक दूसरा राग द्वेष पैदा होता है..ऐसे कर के मनुष्य करोडो बार जनम लेता है..वो इच्छाये और अभिलाषाओं का कोई अंत नही..
जैसे माँ बाप अपने बच्चे को गन्दगी से उठा लेते ऐसे भगवान दुःख और कष्टों से उठाने के लिए अपनी कृपामयी वाणी से अपना मंगल करने की बात बताते है..
 
अपने जीवन में दुःख अनेक है..तो दुःख आते कैसे है?
बोले दुर्गुण से आते है..
दुर्गुण अनेक है..
काम का विकार आकर्षण देता है..अपना पति हो चाहे किसी का हो..अपनी पत्नी हो चाहे किसी की हो कामविकार अँधा बना देता है…तो बुध्दी दुर्बल होती है..अपनी पत्नी हो तो कैसे उस के साथ काला मुंह करू..अपना पति है तो कैसे उस के साथ नजर बचा के काला मुंह करे..इस में बुध्दी लगाते..मन उस के अनुसार चलता ..फिर इन्द्रिय विकारों में गिराती है..फिर पछताता है की कुछ मिला नही..
 
ऐसे लोभ, मोह, काम , क्रोध , भय, शोक ये दुर्गुण अनेक प्रकार के है..बार बार आते और हम को गिरा देते..और हम को फिर लगता की कुछ मिला नही..भय बना रहेता की पत्नी को पता ना चले..पति को पता ना चले..समाज को पता ना चले..अन्दर से दुर्बल बना देते है..
 
हम दुर्बल क्यो होते है ..अपना सुख का मूल जो है ..आत्म सुख ..उस  आत्म सुख और आत्म सत्ता को भूल जाते है और इन लोफरो के द्वारा हम सुखी होना चाहते है..
हम शांत होना चाहते ..लेकिन ये लोफर दुर्गुण हमें  शांत नही होने देते..हम को नोचकर कमजोर कर के गुलाम बना कर छोड़ जाते..
 
दुर्गुण अनेक है..और उन से पार होने के उपाय अनेक है..
कामविकार को दूर करना है तो मन से शरीर की चमडी हटाकर देखो की क्या है..या सुंदरा सुंदरी के मुंह से कैसे बदबू आती , नाक में कैसे गन्दगी भरी है, बीमार होते तो कैसे दिखते ये देखो..काम विकार से बचाव  करने का मंत्र है वो जपो..सात्विक खुराक खाओ..जहा बहु पुरूष न हो , जहा बहु स्रिया न हो ऐसी जगह पे रहो..कामियों के संग से बचने के अनेक उपाय है..
 
लोभ मोह अहंकार इन दुर्गुणों से बचने के अलग अलग उपाय तो बहोत है…लेकिन भगवान को पाये हुए महापुरुष सभी दुर्गुणों से बचने का एक उपाय बता देते है आप को…भगवान को पाये हुए महापुरुष बोलते तुम एक एक दुर्गुण से लड़ने का एक एक मोर्चा तुम कितनी  बार लोगे?..आओ हम तुम को सभी दुर्गुणों से बचने वाला एक हथियार दे दे..वो हथियार गीता मैय्या भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिलाती है…
 
काम आया आप अशांत हो गए, लेकिन काम के बाद आप फिर शांत हो जाते..
क्रोध आया आप अशांत हो गए, क्रोध गया तो आप फिर शांत हो जाते..
भय आया आप डर गए, अशांत हो गए..भय चला गया आप शांत हो गए..
वो ही शांत आत्मा निर्भयता देता है ..वो ही शांत आत्मा नीर-वैरता देता है..
आप खाली शांत आत्मा होना सीखो..शांत आत्मा होना ये आप का स्वभाव है…दिन को कितनी  आपाधापी करते..रात को गहेरी नींद में सो जाते सुबह उठते तो शांत आत्मा होते..फिर दुःख को याद करते तो अशांति होती..
 
तो आप रात को सोते समय भगवान का चिंतन कर के भगवान की गोद में  चले जाओ.. जैसे माँ की गोद होती , इस प्रकार की भगवान की गोद नही होती..जैसे तरंग , बुलबुले, भंवर पानी में से ही उठते नाचते पानी में ही ऐसे हम भगवान में ही  है..और इधर उधर करते तो थकते ..शांत होते तो भगवान की गोद में जाते..तो आप सोते समय दोनों हाथ ह्रदय पे रखो ..श्वास अन्दर आया “शान्ति” बाहर गया “१’  .. श्वास अन्दर आया  “ॐ” बाहर गया  तो “२” ..ऐसे श्वासोश्वास में भगवान के नाम को , शान्ति को भरते जाए..ऐसे करते करते..(प्रार्थना  करे) “ भगवान तुम मेरे हो ..दुर्गुणों से विजय पाने में आप की शान्ति से मैं पुष्ट होउंगा..”
सर्वस्तर तू दुर्गाणि l
हम सब अपने अपने दुर्ग से , अपने इन खड्डों से तर जाए..
सर्वो भद्राणि पश्यन्तु l
हम सब मंगलमय देखे..मित्र का, शत्रु का, दोस्त का, दुशमन का दुर्गुण को याद कर के अपने आत्मा को दुर्गुणी मत करो..उस के गहेरायी  में जो शांत आत्मा है वो मेरा आत्मा है..
ऐसे शांत होते होते रात्रि को भगवान में शांत हो जाए..सुबह उठे तो भगवान में थोडी देर शांत.. ‘आज कितना भी काम आएगा,  क्रोध आएगा, भय आएगा, मोह आएगा, शोक आएगा ..फिर चला जाएगा..लेकिन मेरा शांत आत्मा परमात्मा रहेनेवाला है..मैं अपनी इस शांत प्रकृति को याद करूँगा..’
 
अशांत को सुख कहाँ ?
शांत को दुःख कहाँ ?
सासु ने, देरानी ने, बहु ने , जेठानी ने कुछ डांटा , बोला तो आप अशांत होकर निर्णय करते तो आप को तकलीफ होती..वो कुछ भी करे , आप शांत होकर उपाय खोजेंगे तो आप की विजय हो जायेगी..
कोई बॉस धमकाता है  तो आप उस समय जीभ तालू में लगाओ तो आप को कोई डरा नही सकता…कैसी युक्ति है!
आप को इम्प्रेस कराने वाला आप को दबानेवाला सामने आए तो आप जीभ तालू में लगा के मन में ॐ ॐ शान्ति… बोले तो बॉस बोल बोल के थक जाएगा..वो बॉस हो, मुखिया हो वो साहब तुम्हारी फेवर  करे बिना रहेगा नही..!
वाह प्रभु वाह!
नारायण हरी ..नारायण हरी..
 
हे प्रभु आनंद दाता ज्ञान हम को दीजिये
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हम से कीजिये
ये प्रार्थना रोज बोले..
 
ॐ शान्ति.
हरि ओम! सदगुरुदेव जी भगवान की जय हो!!!!!
गलतियों के लिए प्रभुजी क्षमा करे…

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Hari om hari om hari om hari om

 

tumhare jeevan me dukh anek prakar ka hota hai..aapadaye musibate anek prakar ki aati raheti hai..jeevan bhar musibato se jhujate jhujate aakhir aadami kuchh naa kuchh dukh , chintaye, pareshaniyaa lekar mar jata hai..aur phir unhi pareshanyiyo ko , dukho ko, jimmedariyo ko yaad karataa huaa janmanatr bhatakataa hai..

kisi ko badala lena hai, kisi ko sukh pahunchana hai..aise kayi logo ko mai janata hun ..

..jin ka baap mar gayaa abhi..khidaki ke kinaare aakar bulata hai.. ‘mai abhi bhatak rahaa hun..beti teri shaadi ho jaaye to mai chhut jaau..jab tak teri shaadi nahi hoti , mera dil bhatakata hai ..isliye mai aata hun..’  vo ladaki aakar mujhe sunati hai ki mujhe pappa dikhayi dete hai..meri shaadi ki chinta chintaa me mar gaye aur abhi pret hoke mujhe dikhayi dete ..

 

 

aise koyi kuchh armaan lekar mar jata hai, koyi kisi ka dwesh lekar mar jata hai to koyi kisi ka raag lekar mar jata hai.. to koyi apani abhilasha adhuri chhodkar mar jata hai..to phir marane ke baad usi vaataavaran me janam leta hai jaha us ki abhilashaye, ichhaaye  puri ho..

vo ichhaye abhilashaye thodi puri huyi ki nai huyi tab tak dusara rag dwesh paida hota hai..aise kar ke manushy karodo baar janam leta hai..vo ichhaye aur abhilashao ka koyi ant nahi..

jaise maa baap apane bachche ko gandagi se utha lete aise bhagavan dukh aur kashto se uthane ke liye apani krupamayi wani se apana mangal karane ki baat bataate hai..

 

apane jeevan me dukh anek hai..to dukh aate kaise hai?

bole durgun se aate hai..

durgun anek hai..

kaam ka vikar aakarshan deta hai..apana pati ho chahe kisi ka ho..apani patni ho chahe kisi ka ho kaamvikaar andha bana deta hai…to budhdi durbal hoti hai..apani patni ho to kaise us ke sath kala munh karu..apana pati hai to kaise us ke sath najar bacha ke kala munh kare..is me budhdi lagaate..man us ke anusar chalata ..phir indriya vikaro me giraati hai..phir pachhataata hai ki kuchh mila nahi..

 

aise lobh, moh, kaam , krodh , bhay, shok ye durgun anek prakar ke hai..baar baar aate aur hum ko gira dete..aur hum ko phir lagata ki kuchh mila nahi..bhay bana raheta ki patni ko pata naa chale..pati ko pata naa chale..samaaj ko pata naa chale..andar se durbal banaa dete hai..

 

hum durbal kyo hote hai ..apana sukh ka mul jo hai ..aatm sukh ka mul jo hai aatm sukh aur aatm satta ko bhul jaate hai aur in lopharo ke dwara hum sukhi hona chahate hai..

hum shant hona chahate ..lekin ye lophar durgun humhe shant nahi hone dete..hum ko nochkar kamjor kar ke gulaam bana kar chhod jaate..

 

durgun anek hai..aur un se paar hone ke upaay anek hai..

kaamvikar ko dur karana hai to man se sharir ki chamadi hataakar dekho ki kya hai..ya sunara sundari ke munh se kaise badaboo ati , naak me kaise gandagi bhari hai, bimaar hote to kaise dikhate ye dekho..kaam vikaar se bachane  karane ka mantr hai vo japo..satvik khuraak khao..jaha bahu purush na aho jaha bahu sriya na ho aisi jagah pe raho..kamiyo ke sang se bachane ke anek upaay hai..

 

lobh moh ahanakar in durguno se bachan eke alag alag upaay to bahot hai…lekin bhagavan ko paaye huye mahapurush sabhi durguno se bachan eka ek upaay bataa dete hai aap ko…bhagavan ko paaye huye mahapurush bolate tum ek ek durgun se ladane ka ek ek morcha tum kitan baar loge?..aao hum tum ko sabhi durguno se bachane wala ek hathiyaar de de..vo hathiyar gita maiyya bhagavan shrikrushn ke dwara dilaati hai…

 

 kaam aaya aap ashant ho gaye, lekin kaam ke baad aap phir shant ho jate..

krodh aaya aap ashant ho gaye, krodh gaya to apa phir shant ho jaate..

bhay aaya aap dar gaye, ashant ho gaye..bhay chala gaya aap shant ho gaye..

wo hi shant aatma nirbhayata deta hai ..vo hi shant aatma nir-bhayata deta hai..

vo hi shant aatma nir-vairataa deta hai..

aap khali shant atma hona sikho..shant aatma hona ye aap ka swabhaav hai…din ko kitan aapadhaapi karate..raat ko gaheri nind me so jaate subah uthate to shant aatma hote..phir dukh ko yaad karate to ashanti hoti..

 

to aap raat ko sote samay bhagavan ka chintan kar ke bhagavan ki god me  chale jaao.. jaise maa ki god hoti , is prakar ki bhagavan ki god nahi hoti..jaise tarang , bulbule, bhanvar pani me se hi uthate nachate pani me hi aise hum bhagavan m ehi hai..aur idhar udhar karate thakate ..shant hote to bhagavan ki god me jaate..to aap sote samay dono hath hruday pe rakho ..shwas andar aaya “shanti” bahar gaya “1′  .. shwas andar aaya  “om” baahar gaya  to “2” ..aise shwasoshwas me bhagavan ke naam ko , shanti ko bharate jaaye..aise karate karate..(prathan kare) “ bhagavan tum mere ho ..durguno se vijay pane me aap ki shanti se mai pusht houngaa..”

sarvastar tu durgani

hum sab apane apane durg se , apane in khaddo se tar jaaye..

sarvo bhadrani pashyantu

hum sab mangalmay dekhe..mitr ka, shatru ka, dost ka, dushamn ka durgun ko yaad kar ke apane aatma ko durguni mat karo..us ke gaherayi  me jo shant aatma hai vo mera aatma hai..

aise shant hote hote ratri ko bhagavan me shant ho jaaye..subah uthe to bhagavan me thodi der shant.. ‘aaj kitana bhi kam aayega,  krodh aayega, bhay aayega, moh aayega, shok aayega ..phir chala jayega..lekin mera shant aatma paramtma rahenewala hai..mai apani is shant prakruti ko yaad karunga..’

 

ashant ko sukh kaha?

shant ko dukh kaha?

sasu ne, derani ne, bahu ne , jethani ne kuchh danta , bola to aap ashant hokar nirnay karate to aap ko taklif hoti..vo kuchh bhi kare aap shant hokar upaay khojenge to aap ki vijay ho jayegi..

koyi boss dhamakataa ai to aap us samay jibh talu me lagaao to aap ko koyi dara nahi sakata…kaisi yukti hai!

aap ko impress karane wala aap ko dabaanewala samane aaye to aap jibh talu me laga ke man me om om shanti… bole to boss bol bol ke thak jayega..vo boss ho, mukhiya ho vo saahab tumhari fever kare bina rahega nahi..!

wah prabhu wah!

narayan hari ..narayan hari..

 

hey prabhu aanand data gyan hum ko dijiye

shighr sare durguno ko door hum se kijiye

ye prarthana roj bole..

 

Om shanti.

Hari Om! sadgurudev ji Bhagavan ki jay ho!!!!!

Galatiyo ke liye prabhuji kshama kare…

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2 Comments on “durguno ko door kaise kare..”

  1. surendra Says:

    sasbvcb हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ

    ..तुम्हारे जीवन में दुःख अनेक प्रकार का होता है..आपदाये मुसीबते अनेक प्रकार की आती रहेती है..जीवन भर मुसीबतों से झुँजते झुँजते आख़िर आदमी कुछ ना कुछ दुःख , चिंताए, परेशानियाँ लेकर मर जाता है..और फिर उन्ही परेशानियों को , दुखो को, जिम्मेदारियों को याद करता हुआ जन्मजन्मान्तर भटकता है..
    किसी को बदला लेना है, तो किसी को सुख पहुँचाना है..ऐसे कई लोगो को मैं जानता हूँ ..
    ..जिन का बाप मर गया अभी..खिड़की के किनारे आकर बुलाता है.. ‘मैं अभी भटक रहा हूँ..बेटी तेरी शादी हो जाए तो मैं छुट जाऊ..जब तक तेरी शादी नही होती , मेरा दिल भटकता है ..इसलिए मैं आता हूँ..’ वो लड़की आकर मुझे सुनाती है कि मुझे पप्पा दिखाई देते है..मेरी शादी की चिंता चिंता में मर गए और अभी प्रेत होके मुझे दिखाई देते ..

    ..ऐसे कोई कुछ अरमान लेकर मर जाता है, कोई किसी का द्वेष लेकर मर जाता है तो कोई किसी का राग लेकर मर जाता है.. तो कोई अपनी अभिलाषा अधूरी छोड़कर मर जाता है..तो फिर मरने के बाद उसी वातावरण में जनम लेता है ..जहां उस की अभिलाषाये, इच्छाये पुरी हो..
    वो इच्छाये , अभिलाषाये थोडी पुरी हुयी की नही हुयी तब तक दूसरा राग द्वेष पैदा होता है..ऐसे कर के मनुष्य करोडो बार जनम लेता है..वो इच्छाये और अभिलाषाओं का कोई अंत नही..
    जैसे माँ बाप अपने बच्चे को गन्दगी से उठा लेते ऐसे भगवान दुःख और कष्टों से उठाने के लिए अपनी कृपामयी वाणी से अपना मंगल करने की बात बताते है..

    अपने जीवन में दुःख अनेक है..तो दुःख आते कैसे है?
    बोले दुर्गुण से आते है..
    दुर्गुण अनेक है..
    काम का विकार आकर्षण देता है..अपना पति हो चाहे किसी का हो..अपनी पत्नी हो चाहे किसी की हो कामविकार अँधा बना देता है…तो बुध्दी दुर्बल होती है..अपनी पत्नी हो तो कैसे उस के साथ काला मुंह करू..अपना पति है तो कैसे उस के साथ नजर बचा के काला मुंह करे..इस में बुध्दी लगाते..मन उस के अनुसार चलता ..फिर इन्द्रिय विकारों में गिराती है..फिर पछताता है की कुछ मिला नही..

    ऐसे लोभ, मोह, काम , क्रोध , भय, शोक ये दुर्गुण अनेक प्रकार के है..बार बार आते और हम को गिरा देते..और हम को फिर लगता की कुछ मिला नही..भय बना रहेता की पत्नी को पता ना चले..पति को पता ना चले..समाज को पता ना चले..अन्दर से दुर्बल बना देते है..

    हम दुर्बल क्यो होते है ..अपना सुख का मूल जो है ..आत्म सुख ..उस आत्म सुख और आत्म सत्ता को भूल जाते है और इन लोफरो के द्वारा हम सुखी होना चाहते है..
    हम शांत होना चाहते ..लेकिन ये लोफर दुर्गुण हमें शांत नही होने देते..हम को नोचकर कमजोर कर के गुलाम बना कर छोड़ जाते..

    दुर्गुण अनेक है..और उन से पार होने के उपाय अनेक है..
    कामविकार को दूर करना है तो मन से शरीर की चमडी हटाकर देखो की क्या है..या सुंदरा सुंदरी के मुंह से कैसे बदबू आती , नाक में कैसे गन्दगी भरी है, बीमार होते तो कैसे दिखते ये देखो..काम विकार से बचाव करने का मंत्र है वो जपो..सात्विक खुराक खाओ..जहा बहु पुरूष न हो , जहा बहु स्रिया न हो ऐसी जगह पे रहो..कामियों के संग से बचने के अनेक उपाय है..

    लोभ मोह अहंकार इन दुर्गुणों से बचने के अलग अलग उपाय तो बहोत है…लेकिन भगवान को पाये हुए महापुरुष सभी दुर्गुणों से बचने का एक उपाय बता देते है आप को…भगवान को पाये हुए महापुरुष बोलते तुम एक एक दुर्गुण से लड़ने का एक एक मोर्चा तुम कितनी बार लोगे?..आओ हम तुम को सभी दुर्गुणों से बचने वाला एक हथियार दे दे..वो हथियार गीता मैय्या भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिलाती है…

    काम आया आप अशांत हो गए, लेकिन काम के बाद आप फिर शांत हो जाते..
    क्रोध आया आप अशांत हो गए, क्रोध गया तो आप फिर शांत हो जाते..
    भय आया आप डर गए, अशांत हो गए..भय चला गया आप शांत हो गए..
    वो ही शांत आत्मा निर्भयता देता है ..वो ही शांत आत्मा नीर-वैरता देता है..
    आप खाली शांत आत्मा होना सीखो..शांत आत्मा होना ये आप का स्वभाव है…दिन को कितनी आपाधापी करते..रात को गहेरी नींद में सो जाते सुबह उठते तो शांत आत्मा होते..फिर दुःख को याद करते तो अशांति होती..

    तो आप रात को सोते समय भगवान का चिंतन कर के भगवान की गोद में चले जाओ.. जैसे माँ की गोद होती , इस प्रकार की भगवान की गोद नही होती..जैसे तरंग , बुलबुले, भंवर पानी में से ही उठते नाचते पानी में ही ऐसे हम भगवान में ही है..और इधर उधर करते तो थकते ..शांत होते तो भगवान की गोद में जाते..तो आप सोते समय दोनों हाथ ह्रदय पे रखो ..श्वास अन्दर आया “शान्ति” बाहर गया “१’ .. श्वास अन्दर आया “ॐ” बाहर गया तो “२” ..ऐसे श्वासोश्वास में भगवान के नाम को , शान्ति को भरते जाए..ऐसे करते करते..(प्रार्थना करे) “ भगवान तुम मेरे हो ..दुर्गुणों से विजय पाने में आप की शान्ति से मैं पुष्ट होउंगा..”
    सर्वस्तर तू दुर्गाणि l
    हम सब अपने अपने दुर्ग से , अपने इन खड्डों से तर जाए..
    सर्वो भद्राणि पश्यन्तु l
    हम सब मंगलमय देखे..मित्र का, शत्रु का, दोस्त का, दुशमन का दुर्गुण को याद कर के अपने आत्मा को दुर्गुणी मत करो..उस के गहेरायी में जो शांत आत्मा है वो मेरा आत्मा है..
    ऐसे शांत होते होते रात्रि को भगवान में शांत हो जाए..सुबह उठे तो भगवान में थोडी देर शांत.. ‘आज कितना भी काम आएगा, क्रोध आएगा, भय आएगा, मोह आएगा, शोक आएगा ..फिर चला जाएगा..लेकिन मेरा शांत आत्मा परमात्मा रहेनेवाला है..मैं अपनी इस शांत प्रकृति को याद करूँगा..’

    अशांत को सुख कहाँ ?
    शांत को दुःख कहाँ ?
    सासु ने, देरानी ने, बहु ने , जेठानी ने कुछ डांटा , बोला तो आप अशांत होकर निर्णय करते तो आप को तकलीफ होती..वो कुछ भी करे , आप शांत होकर उपाय खोजेंगे तो आप की विजय हो जायेगी..
    कोई बॉस धमकाता है तो आप उस समय जीभ तालू में लगाओ तो आप को कोई डरा नही सकता…कैसी युक्ति है!
    आप को इम्प्रेस कराने वाला आप को दबानेवाला सामने आए तो आप जीभ तालू में लगा के मन में ॐ ॐ शान्ति… बोले तो बॉस बोल बोल के थक जाएगा..वो बॉस हो, मुखिया हो वो साहब तुम्हारी फेवर करे बिना रहेगा नही..!
    वाह प्रभु वाह!
    नारायण हरी ..नारायण हरी..

    हे प्रभु आनंद दाता ज्ञान हम को दीजिये
    शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हम से कीजिये
    ये प्रार्थना रोज बोले..

    ॐ शान्ति.
    हरि ओम! सदगुरुदेव जी भगवान की जय हो!!!!!
    गलतियों के लिए प्रभुजी क्षमा करे…


  2. हम सब ईश्वर की देंन है हम उन्ही में लीं हो जायेगे


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