सत्संग का आदर करना चाहिये

Posted May 19, 2021 by HariOm Group
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हरी ॐ हरी ॐ …………..

    जब सत्संग आता है, तब सुधारने की सीजन आती है | भगवान शिवजी नाचते है धिमक धिमक नाचे भोले नाथ, कृष्ण बंसी बजाते बजाते नचाते है, हनुमानजी करताल लेकर कीर्तन करते, नाचते है, नारद वीणा लेकर नाचते है | नृत्य और वो सात्विक नृत्य तो जीवन की आवश्यकता है | मुशराके गप गर्द जिसको जीना आ गया ये हकिगत है जहाँ में उनको जीना आ गया |

पंचगव्य सारी नस, नाड़ियों को शुद्धी कर देता है | पहले के ज़माने में किसी को राज तिलक करना होता है तो पहले उसे पंचगव्य पिलाते थे ताकि वो दबंग रहे |

माईयाँ बच्चो को खाना खिलाना फेल हो रही है | बच्चे को महान बनाने में फेल हो रही है | बच्चो को खाना कैसे खिलाये ? बच्चे को एक साथ सारा परोस रही है तो बच्चे देखकर एक टाइम इतना सारा देखकर उसका मन नकरात्मक हो जायेगा, थोडा खायेगा आधा छोड़कर चला जायेगा | बच्चों को डाँटते- डाँटते खिलाया गया तो मजा नहीं, आपको  बच्चे को कैसे खिलाना चाहिए ? एकदम थोडा दो, भूख में जितना खा सके उसका चौथाई ही दो तो फिर मांगेगा क्योंकि वो बहुत शक्तिशाली और खुद भगवान का नाम लेते लेते बनाया, फिर थोडा दिया जितना खाये उतना दुगना खायेगा और तंदुरुस्त रहेगा |

दोपहर के बारह बजे का समय शिशना मुख खुलने में सुविधा रहती है | ऐसे संध्या के समय त्रिकाल संध्या चतु:क्षकाल संध्या नाड़ियों ऐसी ऊँची दशा में की जाती है | जिससे आदमी की लौकिक, आदिदैवी और अध्यात्मिक उन्नति आसानी से हो जायेगी |

मै भगवान का भगवान मेरे अंतरात्मा है | वो तो सतरूप है और शरीर बदलता फिर भी उसको जानने वाला आत्मा नहीं बदलता | ये ओमकार आत्म परमात्मा का मंत्र है | इसका जप करने से दिमागी शक्तियाँ खुलती है,  इसका जप करने से पेट की तकलीफे झडती है,  इसका जप करने से पीलिया, किडनी, लीवर आदि ठीक हो जाते है |

ध्यान, भजन कुछ भी करो संध्या मे लेकिन दो बार ओमकार जप करने बाद करो ये आपके साधना में, चिंतन में, सात्विकता में और ईश्वरीय सत्ता का सहयोग मिलेगा | क्योंकि इश्वर का ही ये ओमकार मंत्र है | ये मंत्र की खोज भगवान नारायण ने की है, इसके ऋषि भगवान नारायण है, इसके देवता अंतर्यामी रब है | प्रतिज्ञा करो हम इस अंतर्यामी प्रभु के नाम का जप कर रहे है | प्रीति के लिये, आरोग्य के लिये, दुःख निवृति के लिये,  बरकत के लिये ऐसे अंतर्यामी भगवान परत्मा का रूप,  सामर्थ्य सत्ता देता है |

  ओमकार मंत्र, गायत्री छंद, परमात्मा ऋषि, अंतर्यामी देवता, अंतर्यामी प्रीति अर्थे  ….. ये जो गायत्री है इस ओमकार की शक्ति खोजी किसने ? की भगवान नारायण इसके ऋषि है |

भगवान नारयण ने बनाया नहीं एक होता है खोज, दूसरा होता है निर्माण | ओमकार मंत्र की बड़ी भारी महिमा है ? भगवान नारयण ने उसकी शक्तियां खोजी | अब ओमकार मंत्र की शक्तियां के वर्णन करनेवाले एक संहिता उसमे २२ हजार श्लोक, २२ हजार श्लोक किसी एक चीज के महिमा के, २२ हजार श्लोक मैंने नहीं सुने | लेकिन ओमकार मन्त्र की महिमा के २२ हजार शोल्क है | जब चीज की कदर होती है तो आदमी का आदर्श सुनाता है | ऐसी मुर्ख आदमी बड़ी उंच-नीचता को सुनी-असुनी कार देता है | अगर सत्संग को ठीक से सुना लिया तो दुःख टिक नही सकता और सुख नहीं मिट सकता | हम बेवकूफ है सत्संग का आदर नहीं करते  इसलिए सुख की सामग्री होते हुए भी दुखी है | जिसने सत्संग का आदर किया वो सभी सुखी है और जिसने सत्संग का पूर्णतया आदर किया…. सारी दुनिया उसकी निंदा में लग जाये और हेलीकाप्टर उल्टा-पुलटा हो जाए  फिर भी उसको दुख नही होता क्योंकि उसने सत्संग का आदर किया वे आदरणीय हो जाते है |

पूर्वकाल के पाप के कारण ही प्रकृतिक अपराधी आती है लेकिन सत्संग मिल गया तो प्राकृतिक रूप बढाये उसका कुछ नहीं बिगड़ता और सामाजिक विपदाये भी उसका कुछ नहीं बिगड़ते क्योंकि उसने सत्संग का आदर किया उसने परमात्मा का आदर किया और जिसने परमात्मा का आदर किया वो  तो परमात्मा को प्यारा हो गया और परमात्मा के प्यारे लिये तो परमात्मा की सारी रिद्धि-सिद्धि व्यवस्थाये अपना नियम बदलने को तैयार हो जाती है |

तो आप सत्संग का आदर करो सत्संग आदर करते ही  आप ईश्वर हो जायेंगे | ईश्वर का आदर करने से आप के ह्रदय में ईश्वरीय शांति, ईश्वरीय प्रेम और ईश्वर की सत्ता-महत्ता को बहुत आसान  है | आप सत्संग का आदर करोंगे तो ओमकार मंत्र शक्तियों का फायदा पूरा मिलेगा |

ओमकार मंत्र गायत्री छंद परमात्मा ऋषि 

अंतर्यामी देवता परमात्मा प्रीति अर्थे

परमात्मा प्राप्ति अर्थे जपे विनियोग  

 

ॐ ॐ ॐ …… 

 

परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू  – गाज़ियाबाद सत्संग १ सितम्बर  २०१२

http://www.hariomgroup.org/hariomaudio/satsang/latest/2012/Sep/Ghaziabad_1Sep12_1.MP3